मेरी अना- अंतिम भाग 21
भाग 21
क्या हुआ अना, रोहन सॉरी क्यों कह रहा था?
कुछ नहीं, मुझे आइना दिखा रहा था। बहुत दिनों से किसी ने दिखाया नहीं था। वैसे तुमने इतनी देर कैसे कर दी चाय बनाने में?
दूध खत्म हो गया था घर में, वही लेने गया था।
ये चाय ले जाओ यहाँ से, मेरा अभी मन नहीं है पीने का अनिकेत।
रोहन की बातें कानों में घूम रही थीं। उसने अपनी छह महीने की बेटी की कसम खाई थी वो भी अनिकेत को सही साबित करने के लिए। कौन खाता है अपने बच्चों की कसम दूसरों के लिए। रोहन की एक-एक बात सही लग रही थी अना को। मन में यही ख्याल आ रहा था कहीं उसने गलती तो नहीं कर दी शक करके। अगर ऐसा सच हुआ तो वो अनिकेत से नजरें कैसे मिलाएगी?
उसने अनिकेत को आवाज लगायी..
अनिकेत मेरा एक काम करो।
हाँ बोलो…
निशा की कांटेक्ट डिटेल्स ढूंढो सोशल मीडिया से।
उसका नम्बर होगा तुम्हारे पास अना?
नहीं वो अपना नम्बर बदल चुकी है।
उसकी डिटेल्स ढूंढने के बाद उसे मैसेज भेजो कि तुम्हारा और मेरा तलाक हो चुका है और तुम उससे मिलना चाहते हो। तुम उसे इस घर के पते पर मिलने के लिए बुला लो।
अना इसका मतलब तुम्हें मेरी बात पर विश्वास है?
पता नहीं , लेकिन एक बार निशा के मुँह से सच सुनना चाहती हूँ।
अनिकेत को ज़्यादा ढूंढना नहीं पड़ता निशा का प्रोफाइल आसानी से मिल जाता है फेसबुक पर। वो उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है जिसे वो स्वीकार भी कर लेती है। फिर योजना के मुताबिक अनिकेत उसे घर बुलाता है यह कहकर कि उसे अना को भुलाने में उसकी मदद चाहिए।
निशा पूछती है....उसने एक साल का समय क्यों लगाया उससे मिलने में?
अनिकेत ने कहा कि वो अना से तलाक हो जाने का इंतज़ार कर रहा था ताकि वो उससे छुपकर नहीं, खुलेआम मिल सके।
योजना के मुताबिक अनिकेत निशा को घर बुलाता है रात को। पूरा घर गुलाब की खुशबू से महक रहा होता है। घर सिर्फ मोमबत्तियों की रौशनी से जगमगा रहा होता है। निशा अनिकेत का यह सरप्राइज देखकर खुश हो जाती है और कहती है….ओह अनिकेत तुम्हें पता नहीं मैंने तुम्हें कितना मिस किया।
उस दिन जब मैं तुम्हें घर में अकेला छोड़कर चला गया था तो पूरी रात में तुम्हारे बारे में सोचता रहा था। मैंने तो अना को छोड़ने का भी मन बना लिया था। लेकिन सुबह जब घर आया तो कुछ और ही कहानी चल रही थी।
निशा झूठ क्यों बोला अना से तुमने? मुझे थोड़ा समय देती तो क्या पता आज हम दोनों साथ होते।
तुम नहीं जानती अना ने कितना जलील किया मुझे मेरे परिवार के सामने। खैर मुझे अब किसी की परवाह नहीं, मुझे तुम चाहिए हो निशा।
मुझे माफ़ कर दो अनिकेत। उस रात जब तुमने मेरे प्यार को नकार दिया और अना, अना करने लगे तो मेरा दिलोदिमाग गुस्से से जलने लगा था। तुम जितनी बार अना का नाम ले रहे थे उतनी बार अना और तुम्हारे लिए मेरा गुस्सा बढ़ रहा था। इसलिए उस दिन तुम्हारे जाने के बाद यह नाटक रचा। तुम्हें नहीं पता सारी रात मैंने जागकर तुम्हारा इंतज़ार किया लेकिन जब तुम नहीं आए तो मुझे कोई और तरीका नहीं सूझा तुम्हें और अना को चोट पहुंचाने का।
मुझे माफ़ कर दो अनिकेत। वो जैसे ही अनिकेत के गले लगने के लिए आगे बढ़ती है तभी व्हीलचेयर पर तालियाँ बजाती हुई अना पर्दे के पीछे से बाहर आती है।
वो अनिकेत को आवाज़ लगाती है….अनिकेत मेरी उठने में मदद करो।
वो अनिकेत का सहारा लेकर जैसे तैसे खड़ी होती है और पूरी ताकत से निशा के गाल पर थप्पड़ मारती है। निशा जब तक समझ पाती तब तक देर हो चुकी थी। अनिकेत ने अपने जीवन में अना को कभी गालियाँ देते हुए नहीं सुना था लेकिन आज अना खुलकर अपशब्दों का प्रयोग कर रही थी निशा के लिए।
निशा ने भी थप्पड़ का जवाब थप्पड़ से देना चाहा था अना को लेकिन अनिकेत ने रोक लिया और उसे घर से निकल जाने के लिए कहा। निशा जाते-जाते भी अना पर अपने शब्दों से प्रहार कर गयी थीे….शर्म तो तुम्हें आनी चाहिए जो तुमने अपने पति पर विश्वास करने के बजाय मुझ पर विश्वास किया। मुझसे ज्यादा तो तुम गलत हो। बहुत ही कमजोर निकली तुम और तुम्हारा प्यार अना।
निशा के जाने के बाद अना लगातार रोए जा रही थी। अनिकेत के लिए उसे संभालना कठिन हो गया था। उसकी तबीयत इतनी बिगड़ चुकी थी कि डॉक्टर को बुलाना पड़ा था। अना का बीपी हाई हो गया था अत्यधिक गुस्से और मानसिक तनाव के कारण। दवाई खाने के बाद अना सो गई थी।
अना इतनी शर्मिंदा थी खुद पर कि उसे समझ ही नहीं आ रहा था वो अनिकेत का सामना कैसे करे। निशा ने सच ही कहा था उससे ज्यादा वो गलत है। अनिकेत से नजरें मिलाना तक मुश्किल हो रहा था, माफ़ी कैसे माँगती। अपनी ही नज़रों में आज गिर गयी थी वो। उसकी आँखों से पश्चाताप के आंसू बह रहे थे।
अनिकेत कमरे में सुबह देखने आया अना को तो, उसको यूँ रोता देख उसका दिल घबरा गया। वो गुस्से से डाँटने लगा अना को……. पागल हो गई हो क्या जो इतना रो रही हो? तबियत खराब हो गयी तो अकेले कैसे संभालूंगा तुम्हें?
अना प्लीज मत रोओ तुम? मैं तुम्हें इस हालत में नहीं देख सकता।
माफ़ी के लायक तो नहीं हूँ मैं अनिकेत, लेकिन हो सके तो मुझे माफ़ कर देना। तुम्हारी हर सजा मँजूर है मुझे अनिकेत।
अना जो हुआ वो हमारी किस्मत में होना लिखा था। अगर मैं होता तुम्हारी जगह पर तो शायद मैं भी यही करता। शक है ही चीज ऐसी, इंसान को दीमक की तरह खा जाती है।
खैर मैं इन सब बातों पर बात नहीं करना चाहता अना। फिलहाल तुम्हारी तबियत से ज़्यादा कुछ और जरूरी नहीं है मेरे लिए। तुम ठीक हो जाओ फिर बात करेंगे इस बारे में।
वो हमेशा कहती थी उसे अनिकेत पर भरोसा है लेकिन जब भरोसा दिखाने का वक़्त आया तो उसका विश्वास चंद सेकण्ड्स में हिल गया। उसने दोस्त की बात पर विश्वास किया अपने अनिकेत पर नहीं जिसे वो बचपन से चाहती थी। पति-पत्नी के रिश्ते के बीच दोस्ती कहीं पीछे छूट गयी थी।
अनिकेत और अना के बीच चीजें यूँ तो सामान्य हो गईं थी लेकिन दूरियां अभी भी बनी हुई थी। अनिकेत के दिल में अना को लेकर जरा सा भी गुस्सा नहीं था। उसकी अना की जान एक्सीडेंट में बच गयी थी, उसके साथ थी, यही उसके लिए काफी था। फिलहाल वो अना और अपने रिश्ते को समय देना चाहता था। वो उसका पति नहीं दोस्त बनकर रहना चाहता था।
महीने लग गए थे अना के सारे प्लास्टर्स निकलने में। चेहरे पर जख्मों के निशान पड़ गए थे। डॉक्टर की सलाह पर अना की फिजियोथेरेपी शुरू हो गयी थी। अनिकेत ही अना को हॉस्पिटल ले जाता था। अना वॉकर की सहायता से चलने लगी थी।
एक दिन अना ने कहा…..अनिकेत मेरे नाम से एक इस्तीफा टाइप करके मेल कर दो एयरलाइन्स को।
इतनी जल्दी फैसला मत लो अना, तुम जल्दी ठीक हो जाओगी और फिर से नौकरी पर जा सकोगी।
छह महीने हो गए हैं मुझे अनिकेत घर पर, अभी भी वॉकर की सहायता से चल रही हूँ। चेहरे पर चोट के निशान पड़ चुके हैं। इससे पहले कि वो लोग मुझे कहें छोड़ने के लिए, बेहतर हैं मैं खुद छोड़ दूँ। मुझे पता है मैं ठीक हो जाऊंगी लेकिन यह भी जानती हूँ कि शरीर और दिमाग अब इस नौकरी का दबाव नहीं झेल पायेगा और ये दाग मेकअप से भी नहीं छुपने वाले। समय लग जायेगा इन्हें जाने में।
एयरहोस्टेस की नौकरी के लिए सुंदर चेहरा और छरहरे बदन की जरूरत होती है। फिलहाल वजन बढ़ चुका है, चेहरे पर दाग हैं। इसलिए बेहतर है कि यह नौकरी छोड़ दी जाए।
नौकरी छोड़ने के बाद क्या करोगी, कुछ सोचा है?
फ्रैंकफिन में ट्रेनर बनने का सोचा है और ऑनलाइन इंग्लिश क्लासेस लेने का।
विचार तो अच्छा है तुम्हारा, लेकिन पहले ठीक होने पर ध्यान दो।
हाँ अनिकेत, जल्दी से जल्दी ठीक होना है और फिर कितने दिन रहूँगी यहाँ?
अना ने जानबूझकर कही थी यह बात अनिकेत की प्रतिक्रिया जानने के लिए।
अनिकेत जानता था अना क्या सुनना चाहती है लेकिन उसने भी जानबूझकर कुछ कहा नहीं।
चिंता मत करो, तुम्हारे ठीक होते ही मैं तुम्हें छोड़ आऊंगा।
अना को गुस्सा आ जाता है सुनकर, वो अपने कमरे में चली जाती है।
कुछ समय बाद…..
एक सुबह सोफे के पास अना के सूटकेस रखे होते हैं। वो अनिकेत से कहती है…..मैं अब ठीक हो चुकी हूँ अनिकेत, ऐसे में यहाँ रहने का कोई मतलब नहीं रह जाता। मैं जा रही हूँ अनिकेत।
अना मन ही मन प्रार्थना कर रही थी कि अनिकेत उसे रोक ले।
अनिकेत हँसते हुए कहता है….. हाँ जाओ ना रोका किसने है तुम्हें?
अना बाहर जाने के लिए दरवाजा खोलती है तो खुल नहीं रहा होता। फिर ध्यान जाता है कि दरवाजा तो लॉक है अंदर से।
अनिकेत लॉक खोलो दरवाजे का।
नहीं खुलेगा अना, चाबी खो गयी है। अनिकेत अना के पास आकर धीरे से कहता है मेरी अना।
मैं चाहता हूँ मेरी अना हमेशा मेरे साथ मेरे पास रहे।
अना अनिकेत के सीने से लग जाती है और कहती है…… फिर से कहो ना…
क्या??
मेरी अना…
पूरे घर में एक ही आवाज़ गूँज रही होती है मेरी अना, मेरी अना….
❤सोनिया जाधव
दीपांशी ठाकुर
24-Apr-2022 09:56 PM
Bahut khoob likha h aapne
Reply
Sandhya Prakash
22-Mar-2022 01:50 PM
Ek khoobsurat kahani ka khoobsurat ant. Bahut khoobsurat dil chhune wali kahani likhi h aapne. Padh kar bahut achcha lga.
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Arshi khan
03-Mar-2022 10:21 PM
Nice
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